
Mahakaleshwar Bhasma Aarti – उज्जैन मंदिर की रहस्यमय आरती
🕉️ Mahakaleshwar Bhasma Aarti: श्मशान की राख नहीं, इन 5 चीज़ों से बनती है महाकाल की भस्म!
Ujjain Mahakaleshwar Temple, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ की भस्म आरती (Bhasma Aarti of Lord Mahakal) दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर सुबह ब्रह्ममुहूर्त में की जाने वाली यह आरती एक अलौकिक और रहस्यमय अनुभव देती है। बहुत लोग यह सोचते हैं कि महाकाल को चढ़ाई जाने वाली भस्म श्मशान की राख होती है। लेकिन हकीकत कुछ और है, जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे।
🪔 क्या सच में श्मशान की राख से होती है महाकाल की आरती?
लंबे समय तक यह मान्यता थी कि श्मशान से लाई गई राख से भगवान महाकाल की आरती की जाती है। लेकिन मंदिर प्रशासन और पुरोहितों के अनुसार, आज के समय में श्मशान की असली राख का प्रयोग नहीं होता।
दरअसल, यह भस्म अब पंच तत्वों से बनाई जाती है — जो शुद्धता, सुरक्षा और धर्म अनुसार पूजा प्रक्रिया के लिए उपयुक्त होती है।
🔍 महाकाल की भस्म आरती में उपयोग की जाने वाली ये 5 चीज़ें
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गाय का गोबर (गौमय):
सुखाए गए गोबर को जलाकर भस्म बनाई जाती है। -
गाय का दूध (गौदुग्ध):
शुद्धिकरण के लिए गोबर को गाय के दूध से छिड़का जाता है। -
तुलसी के पत्ते:
भस्म में तुलसी का स्पर्श होता है जिससे यह पवित्र बनती है। -
गाय का घी (गौघृत):
अग्नि में आहुति देने के लिए घी का उपयोग होता है जिससे राख अत्यधिक शुद्ध बनती है। -
गौमूत्र:
शुद्धिकरण में उपयोगी तत्व जो आयुर्वेदिक दृष्टि से भी महत्व रखता है।
🌄 कैसे होती है भस्म आरती?
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हर सुबह सुबह 3:30 बजे से मंदिर में महाकाल की भस्म आरती प्रारंभ होती है।
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यह आरती केवल पुरुष ही देख सकते हैं और वह भी पारंपरिक वस्त्र (धोती और अंगवस्त्र) में।
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भगवान शिव के नग्न स्वरूप पर सबसे पहले भस्म चढ़ाई जाती है, फिर वस्त्र धारण करवाए जाते हैं।
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यह प्रक्रिया अत्यंत रहस्यमयी और आध्यात्मिक होती है।
🙏 भस्म आरती का धार्मिक महत्व
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यह आरती दर्शाती है कि जीवन नश्वर है और आत्मा अमर।
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शिव को मृत्यु का अधिपति कहा जाता है और यह भस्म आरती उस सत्य की अभिव्यक्ति है।
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महाकाल की यह पूजा हमें वैराग्य, भक्ति और मृत्यु बोध की सीख देती है।
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