
नृसिंह भगवान की आरती करते समय भक्तों की पूजा
नृसिंह भगवान, श्रीहरि विष्णु के चौथे अवतार माने जाते हैं, जिनका प्राकट्य धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए हुआ था। जब हिरण्यकश्यप नामक अत्याचारी राक्षस ने धर्म और भक्ति का दमन करना शुरू किया, तब प्रह्लाद की भक्ति की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया। आधे सिंह और आधे मानव रूप में अवतरित होकर भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध कर धर्म की पुनः स्थापना की।
नृसिंह जी की पूजा विशेष रूप से भय, संकट और शत्रु बाधा से मुक्ति के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा से नृसिंह भगवान की आरती करता है, उसे सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और शत्रु बाधाओं से सुरक्षा प्राप्त होती है।
🕉️ नृसिंह जी की आरती – पाठ:
जय नृसिंह हरे जय नृसिंह हरे
प्रह्लाद-विहारी जय जय नरसिंह हरे।
उग्र रूप धरि लयलू हिरण्यकश्यप
भक्त के खातिर आयो नरसिंह हरे।। जय नृसिंह हरे…
पाताल बसा धरती पर आयो
भक्त के दुःख दूर भगायो। जय नृसिंह हरे…
लक्ष्मी संग विराजत सुंदर
सिंहासन पर रूप है सुंदर। जय नृसिंह हरे…
दीनन के तू बडे सहाई
रखवाले तू भक्तों के भाई। जय नृसिंह हरे…
आरती जो नर नित गावे
शत्रु कभू न निकट ही आवे। जय नृसिंह हरे…
🙏 नृसिंह आरती का महत्व:
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शत्रु नाश और रक्षा: नृसिंह जी की आरती नियमित रूप से करने से शत्रु शांत होते हैं और बाधाएं दूर होती हैं।
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भयमुक्ति और आत्मबल: जो व्यक्ति भय, चिंता या मानसिक तनाव में होता है, उसके लिए यह आरती अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
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भक्ति में वृद्धि: आरती से भक्त का मन नृसिंह भगवान में एकाग्र होता है और भक्ति भाव बढ़ता है।
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नकारात्मकता का नाश: घर में नृसिंह जी की आरती करने से वास्तु दोष, बुरी दृष्टि और तांत्रिक प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
📅 कब करें नृसिंह जी की आरती?
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नित्य प्रातः और संध्या काल में नृसिंह जी की आरती करना श्रेष्ठ होता है।
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नृसिंह चतुर्दशी (वैशाख मास की चतुर्दशी तिथि) को विशेष पूजा और आरती करने से अद्भुत फल की प्राप्ति होती है।
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किसी भी संकट या कोर्ट-कचहरी संबंधी समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को नियमित रूप से आरती करने की सलाह दी जाती है।
🕯️ पूजन विधि (संक्षेप में):
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भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें।
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दीपक, धूप, पुष्प और चंदन से पूजन करें।
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नृसिंह जी का ध्यान करते हुए आरती गाएं।
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अंत में सभी को आरती दिखाएं और प्रसाद वितरित करें।
🗣️ विशेष मंत्र – “ऊँ क्ष्रौं नरसिंहाय नमः”
इस बीज मंत्र का जाप भी नृसिंह जी की कृपा पाने का श्रेष्ठ माध्यम है। प्रतिदिन 108 बार जप करने से बाधा दूर होती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।
✨ निष्कर्ष:
नृसिंह भगवान की आरती केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि शक्ति, सुरक्षा और आस्था का अद्वितीय संगम है। यह आरती न केवल भक्त के हृदय को शांति देती है, बल्कि उसे आत्मविश्वास और ईश्वर पर अटूट विश्वास की शक्ति भी प्रदान करती है। जो भक्त नियमित रूप से नृसिंह जी की आरती करते हैं, उन्हें कभी किसी प्रकार के भय, शत्रु या संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
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