
केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में होने वाली फांसी फिलहाल टली, ब्लड मनी को लेकर बातचीत जारी
केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी टली, ब्लड मनी पर बात जारी
कौन हैं निमिषा प्रिया और क्यों मिली थी उन्हें फांसी की सजा?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया, पेशे से एक नर्स हैं, जो एक दशक से अधिक समय तक यमन में कार्यरत थीं। साल 2017 में उन्हें यमन के नागरिक तलाल अब्दुल मेहंदी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट में पेश साक्ष्यों के अनुसार, निमिषा और मेहंदी एक निजी क्लिनिक में साथ काम करते थे, और दोनों के बीच व्यावसायिक संबंध थे।
निमिषा ने आरोप लगाया था कि मेहंदी ने उसका पासपोर्ट जबरन रख लिया था और उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था। इसी तनाव के चलते उसने मेहंदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन ओवरडोज की वजह से उसकी मौत हो गई।
यमन में क्यों हुई फांसी की सजा और क्या है ब्लड मनी कानून?
साल 2020 में यमन की अदालत ने निमिषा को हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई। उनकी सभी अपीलें नवंबर 2023 तक खारिज हो चुकी थीं। लेकिन यमन में शरिया कानून लागू है, जिसके तहत हत्या के मामलों में पीड़ित परिवार सजा माफ कर सकता है, बशर्ते कि आरोपी ब्लड मनी (खून का मुआवज़ा) अदा करे।
कैसे रोकी गई फांसी, अब तक क्या हुआ है समझौते में?
निमिषा के परिजनों और सामाजिक संगठनों ने ब्लड मनी जुटाने के प्रयास किए। नवंबर 2023 में बातचीत की शुरुआत हुई थी, जिसके तहत कुछ रकम पीड़ित परिवार को दी भी गई। हालांकि, तलाल मेहंदी का परिवार उस वक्त समझौते को राज़ी नहीं था।
अब रिपोर्ट्स के अनुसार, पुनः बातचीत शुरू हुई है और मेहंदी परिवार नेगोशिएशन के लिए तैयार हो गया है। इसी वजह से 16 जुलाई को होने वाली फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है।
भारत सरकार और जनता का समर्थन
भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और डिप्लोमैटिक स्तर पर हरसंभव कोशिशें कीं। केरल में एक बिज़नेसमैन ने ₹1 करोड़ दान की पेशकश की, वहीं निमिषा की मां ने क्राउडफंडिंग और अपनी संपत्ति बेचकर पैसा जुटाने की कोशिश की।
इस मामले के लिए एक Nimisha Priya International Action Council का गठन भी किया गया है, जो लगातार यमन सरकार और पीड़ित परिवार के बीच समझौता करवाने की कोशिशों में जुटा है।
आगे क्या? क्या बच पाएंगी निमिषा?
फिलहाल निमिषा की फांसी टली है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। जब तक ब्लड मनी का अंतिम समझौता नहीं हो जाता, तब तक फांसी की सजा पूरी तरह रद्द नहीं होगी। अब निगाहें इस बात पर हैं कि अगले कुछ दिनों में बातचीत किस मोड़ पर पहुंचती है।
निमिषा प्रिया की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस संघर्ष और कानूनी लड़ाई की है जो देश की सीमाओं के बाहर अपने नागरिकों को न्याय दिलाने की कवायद से जुड़ी है। यमन के कानून और परिस्थितियां अलग हैं, लेकिन भारत सरकार और जनता की एकजुटता से अब उम्मीद की किरण बनी है।
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