
जयपुर के महारानी कॉलेज परिसर में बनीं अवैध मजारों को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज। हिंदू संगठनों और छात्रों ने हटाने की उठाई मांग।
कॉलेज परिसर में धार्मिक ढांचे को लेकर विरोध
जयपुर से एक बड़ा और संवेदनशील मामला सामने आया है जहां महिला महाविद्यालय MGD (Maharani Gayatri Devi College) परिसर के भीतर अवैध मजारों को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। यह विवाद तब उभरा जब कॉलेज परिसर में बनी तीन मजारों की तस्वीरें सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर वायरल हो गईं।
प्रदर्शन की अगुवाई धरोहर बचाओ समिति और हिंदू संगठनों द्वारा की जा रही है। इनका कहना है कि कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थानों में इस प्रकार के धार्मिक ढांचों का होना अस्वीकार्य है, क्योंकि वहां सभी धर्मों के छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं और ऐसे ढांचे सांप्रदायिक असंतुलन पैदा कर सकते हैं।
धरोहर बचाओ समिति और हिंदू संगठनों का विरोध
धरोहर बचाओ समिति के अध्यक्ष भरत शर्मा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने 2 जुलाई को जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था और 10 दिन का समय प्रशासन को कार्रवाई के लिए दिया गया था। 11 जुलाई को समय समाप्त होने के बाद, अब समिति ने सड़क पर उतरकर सामूहिक हनुमान चालीसा के पाठ के रूप में आंदोलन शुरू किया है।
उनका कहना है कि “कॉलेज प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।” वे इस बात पर अड़े हुए हैं कि इन अवैध धार्मिक संरचनाओं को तत्काल हटाया जाए।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
जब इस विवाद पर कॉलेज प्रशासन से सवाल किए गए, तो प्रिंसिपल और टीचर्स ने कोई भी जवाब नहीं दिया। इससे जनता में और आक्रोश फैल गया है। कई प्रदर्शनकारियों ने यह भी सवाल उठाया कि “क्या प्रशासन इन मजारों के निर्माण से अनभिज्ञ था? या फिर जानबूझकर इस विषय को अनदेखा किया गया?”
कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि ये मजारें “उनके कार्यकाल से पहले की हैं” और इस पर जिला प्रशासन ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है।
कब बनीं ये मजारें, क्या है इतिहास?
स्थानीय रिपोर्ट्स और कुछ स्टाफ के अनुसार, ये मजारें लगभग 3 से 4 दशक पुरानी हैं और कॉलेज के रिमोट हिस्से में स्थित हैं। परंतु, इस दौरान किसी भी तरह की इबादत, चादर चढ़ाना या पूजा होते नहीं देखा गया।
छात्रों का कहना है कि “हमने आज तक मजारें देखी ही नहीं,” जिससे साफ है कि ये जगह कॉलेज के आम गतिविधियों से दूर रही होगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या किसी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक संरचना की अनुमति दी जानी चाहिए?
पुलिस तैनाती और छात्रों की प्रतिक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारियों को कॉलेज में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। कई छात्र संगठनों ने भी इस विषय पर अपनी नाराजगी जताई है।
कॉमर्स कॉलेज के वर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा, “दो साल से यहां तैयारी कर रहा हूं, कभी कोई मजार नहीं देखी। अगर ये पहले से थी, तो प्रशासन ने अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की?”
आगे की कार्रवाई पर क्या बोले आंदोलनकारी?
आंदोलनकारियों ने कहा कि जब तक कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होती, तब तक आंदोलन शांतिपूर्वक जारी रहेगा। अगर रिपोर्ट उनके पक्ष में आती है, तो वे सरकार से मजारों को हटाने की मांग करेंगे।
प्रदर्शन में भाग लेने वाले सैकड़ों नागरिकों ने सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ कर प्रशासन को “सद्बुद्धि” देने की प्रार्थना की। यह विरोध प्रदर्शन राजनीतिक रूप न लेकर सांस्कृतिक और धरोहर संरक्षण के रूप में सामने आया है।
निष्कर्ष:
इस मामले ने राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक बहस को जन्म दे दिया है। शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों की मौजूदगी पर देश भर में विचार चल रहा है। देखना यह होगा कि जांच समिति की रिपोर्ट में क्या सामने आता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
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