
धन्वंतरि जी की आरती | डिजिटल भक्ति चित्र | आयुर्वेद देवता का दिव्य स्वरूप
भगवान धन्वंतरि जी की आरती | Dhanvantari Ji Ki Aarti Hindi Mein
भगवान धन्वंतरि, आयुर्वेद के जनक और चिकित्सा शास्त्र के देवता माने जाते हैं। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना गया है, जो समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। स्वास्थ्य, आरोग्य और दीर्घायु के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष रूप से धनतेरस और नित्य चिकित्सा उपासना में की जाती है।
धन्वंतरि जी की आरती का गायन कर हम उनके आशीर्वाद से रोगों से मुक्ति और जीवन में स्वास्थ्य एवं संतुलन प्राप्त कर सकते हैं।
धन्वंतरि पूजा का महत्व और विधि
धन्वंतरि जी को आयु, आरोग्य, और औषधि का अधिष्ठाता माना गया है। चिकित्सा, आयुर्वेद, और नाड़ी विद्या में विश्वास रखने वाले उन्हें विशेष श्रद्धा से पूजते हैं।
पूजा के समय भगवान धन्वंतरि को दीपक, तुलसी, चंदन और पंचामृत अर्पित किए जाते हैं। साथ ही, आरती के माध्यम से रोगों से मुक्त जीवन की कामना की जाती है। यह आरती आयुर्वेद चिकित्सकों, वैद्यों, और आरोग्यप्रेमियों के लिए अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है।
सम्पूर्ण धन्वंतरि जी की आरती (हिंदी में पाठ)
🪔 धन्वंतरि जी की आरती 🪔
ॐ जय धन्वंतरि भगवान, वैद्यराज सुरज्ञानी।
आरोग्य प्रदाता तुम हो, दुख हरन भगवानी॥
अमृत कलश हाथ में धारे, पीतांबर तन साजे।
चक्र, गदा और शंखधारी, तुलसी माला भाजे॥
त्रिदोष नाशक औषधि तुम, रोगों का उपचार।
भक्तों के हो रक्षक तुम, करो हमारा उद्धार॥
नर-नारी जो ध्यान लगाए, आरोग्य जीवन पाए।
सच्चे मन से जो भी ध्यावे, रोग-दोष मिट जाए॥
आरती जो गाए तुम्हारी, संकट से उबर जाए।
धन्वंतरि भगवान कृपा से, हर दिन शुभ बन जाए॥
निष्कर्ष
भगवान धन्वंतरि जी की आरती एक आत्मशुद्धि का माध्यम है। यह न केवल शारीरिक रोगों से मुक्ति का आह्वान करती है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करती है। आयुर्वेद को मानने वाले हर भक्त के लिए यह आरती दिव्य वरदान के समान है।
अगर आप स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन की कामना करते हैं, तो यह आरती आपके पूजा-पाठ का नियमित हिस्सा होनी चाहिए।
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