
उत्तर प्रदेश के चांगूरा बाबा केस में चार अफसरों की संदिग्ध भूमिका उजागर, ATS-STF जुटा रही सबूत, जल्द हो सकती है कार्रवाई।
चांगूरा बाबा केस में बड़ा खुलासा, अब अफसरों पर गिर सकती है गाज
लखनऊ। जलालुद्दीन उर्फ चांगूरा बाबा के खिलाफ चल रही जबरन धर्मांतरण की जांच में अब तक का सबसे बड़ा मोड़ आया है। जांच एजेंसियों ने इस मामले में सरकारी अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की ओर इशारा किया है। सूत्रों के अनुसार, बलरामपुर में तैनात रहे चार अधिकारियों — एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर — की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इन पर चांगूरा बाबा के नेटवर्क को संरक्षण देने का आरोप है।
जांच में सामने आए अफसरों के नाम
मामले की जांच कर रही एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) और एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने पुष्टि की है कि बाबा से पूछताछ के दौरान चार अफसरों के नाम सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से दो सर्कल ऑफिसर (CO), एक इंस्पेक्टर, और एक अतिरिक्त जिलाधिकारी (ADM) शामिल हैं। ये सभी पहले बलरामपुर में तैनात रह चुके हैं।
एजेंसियों का मानना है कि यदि इन अफसरों का साथ न होता तो चांगूरा बाबा का धर्मांतरण का नेटवर्क इतने बड़े स्तर पर संचालित नहीं हो पाता।
टॉर्चर और झूठे मुकदमों से करते थे दबाव
जांच एजेंसियों के अनुसार, बाबा और उसकी सहयोगी नसीरीन उन लोगों को मानसिक और कानूनी रूप से प्रताड़ित करते थे जो इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार कर देते थे। पीड़ितों को झूठे मुकदमों में फंसाने, डराने-धमकाने और शारीरिक शोषण तक के आरोप लगे हैं। यही नहीं, अफसरों की मिलीभगत के चलते पीड़ितों की शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता था।
पुलिस रिमांड का आज आखिरी दिन
चांगूरा बाबा और नसीरीन की पुलिस कस्टडी रिमांड आज समाप्त हो रही है। दोनों को सात दिन पहले रिमांड पर लिया गया था। यदि ATS को और पूछताछ की जरूरत महसूस हुई, तो कोर्ट में दोबारा रिमांड आवेदन किया जाएगा। अन्यथा, दोनों आरोपियों को आज शाम तक लखनऊ जेल भेजा जा सकता है।
ATS-STF जुटा रही पुख्ता सबूत
एटीएस और एसटीएफ की टीमें अब इन चार अधिकारियों के खिलाफ तकनीकी और दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने में लगी हैं। अधिकारियों की कॉल डिटेल्स, मुलाकातों, वित्तीय लेन-देन और कर्तव्यों के उल्लंघन की जांच हो रही है।
जैसे ही एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत होंगे, इन अफसरों पर गंभीर प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है। इसमें निलंबन, गिरफ्तारी, या चार्जशीट तक की सिफारिश की जा सकती है।
यूपी सरकार की सख्ती संभव
सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही जबरन धर्मांतरण के मामलों पर जीरो टॉलरेंस की नीति का एलान कर चुके हैं। ऐसे में अगर किसी भी अफसर की संलिप्तता पाई जाती है, तो सीधी कार्रवाई की जाएगी।
विपक्ष और सामाजिक संगठनों की मांग
इस खुलासे के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि चांगूरा बाबा जैसे नेटवर्क सरकारी संरक्षण के बिना इतने बड़े पैमाने पर वंचित समुदायों को निशाना नहीं बना सकते।
निष्कर्ष
चांगूरा बाबा केस अब एक धार्मिक रूपांतरण के नेटवर्क से आगे बढ़कर एक प्रशासनिक साजिश की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। यदि जांच में अधिकारियों की संलिप्तता साबित होती है, तो यह उत्तर प्रदेश प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करेगा।
यह मामला अभी जांचाधीन है। ‘KhabriDose’ अपनी अगली रिपोर्ट में आपको देगा पूरी जानकारी जैसे ही ATS या STF कोई आधिकारिक एक्शन लेती हैं।
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