
Tejashwi के प्लान को Congress ने किया हाईजैक ? बिहार में कांग्रेस का जॉब फेयर
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के बीच रोजगार को लेकर जबरदस्त खींचतान शुरू हो गई है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 करोड़ नौकरियों का वादा किया है, वहीं कांग्रेस ने पटना में जॉब फेयर लगाकर युवाओं को सीधे रोजगार देने की घोषणा की है। इससे महागठबंधन के भीतर सियासी समीकरणों में खलबली मच गई है।
पटना | 16-07-2025: बिहार में जैसे-जैसे चुनावी हलचल तेज हो रही है, वैसे-वैसे रोजगार का मुद्दा राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गया है। सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों ही युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने पटना के ज्ञान भवन में 19 जुलाई को जॉब फेयर आयोजित करने की घोषणा की है, जो राज्य में चल रही रोजगार की सियासत को और गर्मा रहा है।
कांग्रेस की इस पहल को तेजस्वी यादव के रोजगार एजेंडे पर ‘हाईजैक’ के रूप में देखा जा रहा है। तेजस्वी ने पहले ही दावा किया था कि उन्होंने अपने 17 महीने के कार्यकाल में लाखों नौकरियां दीं। अब कांग्रेस इस मुद्दे पर उनसे आगे निकलने की कोशिश करती दिख रही है।
पार्टी ने जॉब फेयर के लिए टोल-फ्री नंबर जारी किया है और युवाओं से अपील की है कि वे रजिस्ट्रेशन करवाएं। कांग्रेस ने बताया कि इसमें कई निजी कंपनियां शामिल होंगी, जो मौके पर ही युवाओं को नौकरी देंगी। इस आयोजन को राहुल गांधी के जन्मदिन पर देशभर में आयोजित रोजगार मेलों की कड़ी में एक अहम कड़ी माना जा रहा है।
इधर विपक्षी दल बीजेपी और जदयू ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस, राजद के एजेंडे को लगातार ‘कॉपी’ और ‘हाईजैक’ करने की कोशिश कर रही है। इससे पहले तेजस्वी यादव द्वारा शुरू की गई ‘माई बहन योजना’ को भी कांग्रेस ने ‘माई बहन सम्मान योजना’ नाम से दोहराया। इसके जवाब में अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में घोषणा की कि सरकार 2025 से 2030 के बीच 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार के अवसर देगी। इसके लिए राज्य में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है और कौशल विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किए जा चुके हैं।
वहीं, बिहार के श्रम मंत्री संतोष सिंह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं है और वह सिर्फ दिखावे की राजनीति कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने ब्लॉक स्तर पर 74,000 लोगों को नौकरी दी है और अब लक्ष्य 1 करोड़ का है।
दूसरी ओर कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी पलटवार करते हुए कहा कि 20 सालों में नीतीश कुमार युवाओं को सिर्फ “मुंगेरीलाल के हसीन सपने” दिखाते रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी के निर्देश पर देशभर में युवाओं को रोजगार देने का अभियान चलाया जा रहा है और पटना का यह मेला उसी का हिस्सा है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस और आरजेडी के बीच वर्चस्व की लड़ाई अब खुले तौर पर सामने आ चुकी है। जब तेजस्वी यादव रोजगार या महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो कांग्रेस उसी मुद्दे पर अपनी रणनीति बना लेती है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस, महागठबंधन में राजद पर दबाव बनाकर अपना राजनीतिक दायरा बढ़ाना चाहती है?
इस पूरे घटनाक्रम पर जन स्वराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी तीखा हमला बोला है। उन्होंने तेजस्वी यादव की 5 लाख नौकरी के दावे को हवा में बताया और चुनौती दी कि अगर सूची सार्वजनिक की जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि जनता अब झूठे वादों में फंसने वाली नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक बिहार में रोजगार की सियासत अब महज वादों तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ‘शो ऑफ स्ट्रेंथ’ यानी जॉब फेयर जैसे आयोजनों तक पहुंच गई है। कांग्रेस का यह कदम जहां युवाओं को राहत देने का दावा करता है, वहीं यह महागठबंधन की भीतरू राजनीति को भी उजागर करता है।
निष्कर्षतः, बिहार में चुनावी साल में रोजगार और नौकरी का मुद्दा सबसे बड़ा चुनावी हथियार बन चुका है। कांग्रेस, राजद और जदयू—तीनों ही दल एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हैं। अब देखना होगा कि युवाओं को कौन वास्तव में नौकरी देने में सफल होता है और किसके वादे सिर्फ चुनावी मंच तक ही सीमित रहते हैं।
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