
जानिए क्या वाकई नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता समय के साथ घट रही है या यह एक राजनीतिक बदलाव का संकेत है
नरेन्द्र मोदी: क्या उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन घट रही है?
नरेन्द्र मोदी भारत के ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने 21वीं सदी में भारतीय राजनीति को एक नया आयाम दिया है। 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जब उन्होंने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई, तब यह स्पष्ट हो गया कि देश उन्हें एक मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में देखता है। 2019 में और भी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में लौटकर उन्होंने अपनी अपार लोकप्रियता को दोहराया। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद यह सवाल ज़रूर उठ रहा है: क्या नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अब कम हो रही है?
लोकप्रियता के शिखर से संतुलन की ओर
2014 से लेकर 2019 तक मोदी लहर ने भारतीय राजनीति पर गहरा असर डाला। उन्होंने “विकासपुरुष”, “चाय वाला से प्रधानमंत्री” और “सबका साथ, सबका विकास” जैसे नारों के सहारे लोगों के दिलों में जगह बनाई। उनके निर्णय लेने की क्षमता, सख्त छवि, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सशक्त उपस्थिति के कारण वे युवाओं, शहरी मध्यम वर्ग और यहां तक कि ग्रामीण जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहे।
परंतु, समय के साथ जब सरकार पर प्रदर्शन का दबाव बढ़ा, तब कई मुद्दों पर जनता की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाईं। बेरोजगारी, महंगाई, किसान आंदोलन, कोरोना काल में व्यवस्थागत समस्याएं, और विपक्ष द्वारा उठाए गए लोकतांत्रिक संस्थाओं के दुरुपयोग के आरोपों ने उनकी लोकप्रियता को थोड़ा झटका दिया है।
2024 चुनाव: गिरती लोकप्रियता के संकेत?
2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिला और उसे सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़ा। यह परिणाम इस ओर संकेत करता है कि मोदी की लोकप्रियता में गिरावट आई है, विशेषकर कुछ प्रमुख राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में।
हालाँकि भाजपा अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है, परंतु जिस तरह की एकतरफा जीत की अपेक्षा थी, वह नहीं मिल पाई। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह “मोदी मैजिक” की कमजोरी का संकेत हो सकता है।

क्या वाकई लोकप्रियता घट रही है?
हालांकि चुनावी आंकड़े थोड़ा बदलाव दिखाते हैं, पर मोदी आज भी भारत के सबसे चर्चित और लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। उनके भाषणों की शैली, सामाजिक मीडिया पर उनकी पकड़, युवाओं के बीच उनकी पहचान और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी उपस्थिति अब भी प्रभावशाली है।
वे अब भी करोड़ों भारतीयों के लिए “आशा की किरण” हैं। विभिन्न सर्वे और जनमतों में भी वह अब तक सबसे पसंदीदा नेता के रूप में उभरते रहे हैं। वास्तव में, उनकी लोकप्रियता पूरी तरह नहीं घटी, बल्कि यह एक नई राजनीतिक स्थिरता और संतुलन की ओर बढ़ रही है।
जनता की अपेक्षाएं और नेतृत्व की चुनौती
हर नेतृत्व की लोकप्रियता समय के साथ चुनौतियों से गुजरती है। मोदी सरकार से लोगों की अपेक्षाएं बहुत ऊँची रही हैं — रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर अब जनता और भी सजग हो गई है। ऐसे में मोदी को न केवल अपनी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर उतारना होगा, बल्कि उनकी छवि को केवल भाषणों तक सीमित न रखकर, ठोस परिणामों के ज़रिए जनता का भरोसा फिर से जीतना होगा।
निष्कर्ष
नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता में थोड़ी गिरावट अवश्य आई है, लेकिन यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि उनका प्रभाव समाप्त हो रहा है। वे अब भी एक मजबूत नेता हैं जिनका आधार देश भर में फैला है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जहां हर नेता को समय-समय पर जनभावनाओं की कसौटी पर खरा उतरना होता है। मोदी का असली परीक्षण अब यह है कि वे बदलते राजनीतिक परिदृश्य में किस तरह नेतृत्व करते हैं और जनता की बदलती अपेक्षाओं पर कैसे खरे उतरते हैं।